कांकेरI महिला बाल विकास विभाग के द्वारा यूनिसेफ और विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसायटी के तकनीकी सहयोग से छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में संवेदनशील पालकत्व 'परवरिश के चैंपियन' कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा पर क्षमतावर्धन करना और पालकों की संवेदनशील परवरिश पर समझ विकसित करना है। इसी परिप्रेक्ष्य में महिला बाल विकास विभाग कांकेर द्वारा दिनांक 14 से 15 फरवरी 2023 तक जिले के समस्त पर्यवेक्षकों का संवेदनशील पालकत्व 'परवरिश के चैंपियन' कार्यक्रम पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन लाइवलीहुड कॉलेज कांकेर में किया गया।
समापन अवसर पर महिला बाल विकास कांकेर के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री हरि कीर्तन राठौर ने प्रशिक्षणार्थीयों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण में आपने सक्रियता से सहभागिता की है इसके परिणाम क्षेत्र मे दिखेंगे। आप लोगो की प्रतिक्रिया से मैंने यह महसूस किया है कि यह प्रशिक्षण पालकों को अपने बच्चों के पालन पोषण और उनकी देखभाल में बहुत मददगार साबित होने वाला है। माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं और संवेदनशील पालकत्व सिखाता है कि माता-पिता व परिवार के सभी सदस्यों को खासकर शुरुआती कुछ वर्षों में बच्चे के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है जिसका प्रभाव बच्चे पर आजीवन रहता है।
इस अवसर पर संवेदनशील पालकत्व 'परवरिश के चैंपियन' कार्यक्रम के राज्य प्रोग्राम मैनेजर रविंद्र यादव, ब्लॉक के परियोजना अधिकारी जागेश्वर परते, सीमा सिंह, ममता सुकदेवे, निर्मला ध्रुव, शकुंतला और विक्रमशिला से अंजली बघेल और श्याम सिंह उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण में जिला के 58 पर्यवेक्षकों ने भाग लिया।
प्रशिक्षकों द्वारा विभिन्न सत्रों के दौरान बताया की परवरिश हर माता पिता के लिए महत्वपूर्ण दायित्व है वे इसे जितने संवेदनशील तरीके से निभाते हैं उतना बच्चे का विकास बेहतर होता है । बच्चे का विकास प्रारम्भिक वर्षों मे तेजी से होता है अतः इस उम्र मे अधिक ध्यान देने की जरूरत है । परवरिश कार्यक्र्म ई सी सी ई पर आधारित है इसमे आंगनवाड़ी जाने वाले बच्चों के पालकों को सजग करना है कि वे बच्चे के साथ अधिक व गुणवततापूर्ण समय बिताएँ जिससे बच्चे का भावनात्मक ,सामाजिक ,संज्ञानात्मक विकास बेहतर हो । पालक बच्चों के साथ ऐसी गतिविधियां करें जिससे उनके सर्वांगीण विकास के बेहतर अवसर मिले, बच्चों की जिज्ञासा शांत हो और अनुभवों से सीख सके। समावेशी समाज बनाने के लिए सामान्य बच्चों के साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनको भी सभी गतिविधियों में शामिल करने पर जोर दिया गया।
इस अवसर पर जिला समन्वयक सुनील सिन्हा ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा महीने में 2 बार पालक बैठक आयोजित कर बच्चों की परवरिश में पालकों की भूमिका व 'परवरिश के चैंपियन' वर्णमाला के 48 अक्षरों से बने जैसे- क से कहानी, ख से खेल ग से गोदी और घ से घर के काम के बारे में चर्चा किया जाएगा। इस बुक को बच्चे के विकास के क्रम में छ भागो में बांटा गया है जिससे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आसानी से पालकों के साथ समय-समय पर चर्चा कर सकें। प्रशिक्षण के दौरान पर्यवेक्षकों व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका पर विस्तार से चर्चा किया गया।
प्रशिक्षण में पालकत्व की अवधारणा को स्पष्ट किया गया एवम् यूनिसेफ द्वारा तैयार की गई ‘परवरिश के चैंपियन’ किट जिसमें मार्गदर्शिका, पोस्टर, गतिविधि पुस्तिका, वीडियो आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की गई । गतिविधि आधारित इस प्रशिक्षण में विभिन्न प्रशिक्षण तकनीकों समूह चर्चा ,प्रदर्शन ,रोल प्ले , फिल्म प्रदर्शन, गीत ,खेल ,क़्विज का उपयोग किया गया ।
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